Vipul-Sex
Homem, 34 anos
34 anos de idade, Homem

मैं धीरे धीरे उसके पास गया और उसे पीछे से मेरी बाँहो में लेकर उसके नंगे जिस्म को मेरे नंगे जिस्म से चिपका लिया। और मेरे दोनों हाथो से उसके नंगे जिस्म को सहलाने लगा।

उसने टाईट छोटी सी काले रंग की ब्रीफ पहनी थी और मैंने भी सिर्फ छोटी सी कट वाली अंडरवियर पहनी थी। जिस में मेरा लंड एकदम कड़क होकर फूल चुका था और वो बाहर खुली हवा में आने को मचल रहा था।

मैंने मेरे लंड के पहाड़ को उसकी गांड की दरार में रख दिया और मेरे लंड के उभार से उसकी गांड सहलाने लगा। एक हाथ से उसकी मर्दानी छाती को सहलाता तो दूसरे हाथ से उसके लंड को मसलता और उसकी गठीली जांघ पर फेरता।

मर्द की सबसे ख़ास बात होती हे की उसकी जवानी बहुत गरम होती हे। नज़रो के खेल में ही लंड खड़ा हो जाता हे। जिस्म तपने लगता हे। मन किसी नंगे जिस्म से जवानी का खेल खेलने को मचल उठता हे। और हम तो दोनों नंगे चिपके हुए। दोनों के बदन हवस में बहके हुए। कामाग्नि में जलते हुए। हम दोनों एकदम मदहोश हो चुके थे।

वो तो उसका नंगा जिस्म मुझे समर्पित कर चूका था। मेरा चेहरा उसके कंधे के ऊपर था और उसके गालो से मेरे गाल सहला रहा था।

उसने मेरी तरफ उसका मुंह किया और फिर हमारे लिप्स ऐसे लॉक हुए की अब ये एक दूसरे में समाना चाहते हो। मैंने मेरी जीभ उसके मुंह में डाल दी, अब तो कभी मेरी जीभ चूसता तो कभी मेरे होंठो को चूसता। बड़ा सा मुंह खोलकर मेरे पुरे मुंह को उसमे खिचता।

मैं मेरे लंड से उसकी गांड को तो सहला ही रहा था। जिससे मेरा आधा लंड मेरी ब्रीफ से बाहर आ गया था। और मेरे दोनों हाथ उसके जिस्म में आग लगा रहे थे। उसका लंड भी अब तक फडफडा चूका था और पत्थर का हो चूका था।

शहर से 30किलोमीटर दूर और 100 फ़ीट ऊपर टाउन हिल पर बने रिसोर्ट के गार्डन में खड़े दो नंगे मर्द, हवस में मदहोश। जवानी के खेल का वो स्वर्गीय आनंद ले रहे थे जिसके आगे सारे आनंद बेकार हे।

वो घुमा और उसने मेरी तरफ मुंह किया और मुझे भी उसने उसकी बाँहो में ले लिया और मेरे होंठो पर टूट पड़ा।

कभी लंड से लंड रगड़ता तो कभी जिस्म को सहलाता
कभी मेरे लंड को मसल ता तो कभी मुझे बाँहो में दबाता
कभी मेरी गांड को मसलता तो कभी उसकी जांघो से मेरी जांघो को सहलाता।

फिर मेरे होंठो को
मेरी गर्दन को
मेरे निप्पल
मेरे पेट
कमर
जांघो को चूमता हुआ और चाटता हुआ मेरी ब्रीफ में से निकले मेरे आधे लंड को मसला और मुंह में लेलिया।

ये तो अद्भुत सुख हे।
एक अनुपम मज़ा।

यार यदि आप लंड के दीवाने हो तो लंड चूस कर देखो
और यदि आप चुसवाने के शौकीन हो तो लंड चुसवा कर देखो। मेरी ग्यारंटी हे यदि इससे ज्यादा मज़ा किसी बात में आये। और फिर जब कोई मर्द लंड चूसे तो....

ओह गॉड...
वो तो अद्भुत होता हे।

अभी में भी किसी दूसरी ही दुनिया में था।

लंड चुसवाते चुसवाते आधा घंटा कब हो गया पता ही नहीं चला। उसने मेरी ब्रीफ निकाल कर मुझे नंगा कर दिया था ताकि आराम से मेरा लंड चूस सके और मैं भी मरे पैर फेला कर खड़ा हो सकु।

उसने मेरी तरफ देखा और मेरा हाथ पकड़ के निचे बैठाया और मुझे पीछे धकेलते हुए मेरे जिस्म पर चढ़ गया।

उसने उसकी भी ब्रीफ निकाल दी और वो भी पूरा नंगा हो गया।

मैं गार्डन की नरम घास पर नंगा लेटा था और वो उसका नंगा जिस्म मेरे ऊपर। एक दूसरे को बाहो में भरते।
कभी करवट से लेटे हुए एक दूसरे के जिस्म से खेलते
तो तभी वो निचे और मैं ऊपर
तो कभी वो मेरे ऊपर।

अब जब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हुआ तो करवट करके उसे निचे किया और घुमा कर उसे उल्टा लेता दिया और उसकी गांड की दरार में मेरे लंड को रख कर बाहर से ही चुदाई के झटके मारने लगा। जिससे उसकी गांड का छेद नरम हो गया और थोडा खुल गया और झटके मारते मारते ही मेरे लंड का टॉप उसकी गांड के वहाँ अटका और अगले झटके में मेरा लंड उसकी गाण्ड में था।

जैसे ही मेरा लंड उसकी गांड में घुसा उसकी सिसकिया और हवस की मदहोश कर देने वाली आहे शुरू हो गई। और ये आहे ... ये मदहोशी पौन घंटे तक बर करार रही जब तक उसे में
कभी उल्टा लेटा कर तो
कभी सीधे लेटा कर
कभी खड़े कर के
तो कभी झुकाकर
तो कभी मेरे लंड पर बेठा कर चोदता रहा।

आखिर जब में उसे खड़े खड़े चोद रहा था तब वो अद्भुत अनुपम आनंद का परम सुख भी प्राप्त हो ही गया जब मैंने मेरे लंड का लावा उसकी गांड में छोड़ दिया। और मैंने उसके लंड को मसल कर उसके लंड को भी ठंडा कर दिया।

वो सही मर्द था उसे पता था एक मर्द को कब मज़ा आता हे इसलिए मेरा लैंड ठंडा होने के बाद भी उसने उसे चूसना स्टार्ट किया और 40 मिनट के बाद मुझे उसने दोहरा मज़ा दिया। एक बार फिर मेरा लंड फूटा और इसबार उसके मुंह में।

ये अद्भुत था।
अनुपम था।
आनंददायक था।
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